अपने पराये
सर्वप्रथम माँ शारदे को नमन
तत्पश्चात"लेखनी" मंच को नमन
मंच के सभी श्रेष्ठ सुधीजन को नमन
शीर्षक -:अपने-पराए
दिनाँक-:24-08-2023
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कलयुग का चल रहा दौर
कहीं किसी का नहीं ठौर
अपनों में न रहा अपनापन
बातों में लगता वीरानापन
ईर्ष्या भाव का दीप जले
मन र्में दूरी का बीज जमें
अपने कहीं कुछ माँग लेवें
इस भय से दूर हैं भागते
पराए प्रेम की रोटी सेंके
अपनो जैसा प्यार उड़ेले
बुरे वक्त में साथ निभाते
तन मन धन से सेवा करते
अपनों की कमी को पूरा करते
पराए होकर भी अपने कहलाते
आभा मिश्रा-कोटा-राजस्थान
Shashank मणि Yadava 'सनम'
25-Aug-2023 08:18 AM
बेहतरीन अभिव्यक्ति
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Reena yadav
25-Aug-2023 06:57 AM
👍👍
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